प्रदेश में औद्योगिक संबंधों के नियमन के लिये दो प्रमुख श्रम कानून छत्तीसगढ़
औद्योगिक संबंध अधिनियम, 1960 तथा औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 प्रभावशील है।
छत्तीसगढ़ औद्योगिक संबंध अधिनियम, 1960 प्रदेश की ऐसी समस्त अनुसूचित औद्योगिक
इकाईयों पर लागू है, जहां विगत एक वर्ष में 100 या उससे अधिक श्रमिक कार्यरत रहे
हों। अधिनियम के अंतर्गत अनुसूचित उद्योगों की सूची निम्नानुसार है:-
- चावल मिल
- तेल मिल
- चूना उद्योग
- प्रिन्टिंग प्रेस
- एसबेस्टास सीमेंट
- शैलाक (चपड़ा)
- फ्लोअर मिल
- बिस्किट एवं कन्फेक्शनरी
- ग्लास
- वनस्पति घी (हाईड्रोजनेटेड आईल)
- रबर
- कत्था
- नान मेटेलिक मिनरल प्रोडक्ट्स
- जिलेटिन इन्डस्ट्रीज
- फर्टिलालईजरस् जिन्हें उद्योग विकास एवं विनियमन अधिनियम, 1951 की प्रथम
अनुसूची की कंडिका 18 में दर्शाया है।
कंडिका 18- फर्टिलाईजर
- इनआर्गनिक फर्टिलाईजर।
- आर्गनिक।
- मिश्रित फर्टिलाईजर।
- ड्रग्स एवं फार्मास्यूटिकल्स् जिन्हें उद्योग विकास एवं विनियमन अधिनियम 1951
की प्रथम अनुसूची की कंडिका 22 में दर्शाया गया हैः
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कंडिका 22- ड्रग एवं फार्मास्यूटिकल्स्।
औद्योगिक विवाद
अधिनियम, 1947 जो एक केन्द्रीय अधिनियम है, प्रदेश की शेष ऐसी इकाईयों पर लागू है,
जो छत्तीसगढ़ औद्योगिक संबंध अधिनियम के अंतर्गत अनुसूचित उद्योगों की सूची में
नहीं हैं अथवा जहां 100 से कम संख्या में श्रमिक नियोजित हैं।
जब कभी किसी
उद्योग में हड़ताल, तालाबंदी आदि की संभावना होती है या उसकी स्थिति उत्पन्न होती
है तो श्रम विभाग के अधिकारी श्रमिक और नियोक्ता पक्षों से लगातार चर्चा कर समस्या
का सौहार्द्रपूर्ण विधि अनुकूल हल निकालने और औद्योगिक शांति बनाएं रखने का प्रयास
करते हैं। |
औद्योगिक विवादों में सुलह कार्यवाही
औद्योगिक विवाद
उदभूत होने की दशा में सुलह अधिकारी औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 10 (1)
के अंतर्गत औद्योगिक विवाद हस्तगत कर सुलह की कार्यवाही करते हैं। इसके असफल होने
पर विवाद को श्रम न्यायालय को संदर्भित किया जाता है।
छत्तीसगढ़
औद्योगिक संबंध अधिनियम 1960 की धारा 31 के अंतर्गत कोई भी नियोजक, अथवा
कर्मचारियों का कोई भी प्रतिनिधि किसी औद्योगिक विषय में परिवर्तन के संबंध में कोई
सूचना/विवाद सुलह अधिकारी को दे सकता है। ऐसी सूचना प्राप्त होने पर क्षेत्रीय सुलह
अधिकारी विवाद को हस्तगत कर सुलह की कार्यवाही सम्पादित करता है। सुलह न होने की
स्थिति में विवाद को उक्त अधिनियम की धारा 43 (5) में असफल घोषित कर विवाद को
सम्बन्धित श्रम न्यायालय को संदर्भित करने हेतु मुख्य सुलहकार को प्रेषित किया जाता
है। अधिनियम की धारा 51 में श्रम न्यायालय औद्योगिक न्यायालय या बोर्ड को संदर्भित
करने के प्रस्ताव शासन को प्रेषित किये जाते है।
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