बंधित श्रम पद्धति (उत्सादन) अधिनियम, 1976 के तहत बंधक श्रम प्रथा दंडनीय अपराध है। इस अधिनियम के अंतर्गत बंधुआ श्रम कराने वाले नियोजकों को दंडित किये जाने के अलावा संबंधित बंधुआ श्रमिकों को मुक्त कराने तथा उनका पुनर्वास करने का प्रावधान है। इस कार्य की सतत निगरानी के लिये जिला व उप संभाग स्तर पर सतर्कता समिति बनाये जाने का प्रावधान है। प्रदेश के सभी जिलों एवं अनुभागों में सतर्कता समितियों का गठन किया जा चुका है। राज्य शासन के सभी अनुविभागीय दंडाधिकारियों को इस अधिनियम के अंतर्गत बंधक श्रमिक संबंधी अपराधों के विचारण हेतु प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी के अधिकार प्रत्यायोजित किये गये है।
बंधक श्रमिकों को अवमुक्त कराने एवं उनके पुनर्वास के लिये भारत सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों के तहत कार्यवाही की जाती है। बंधक श्रमिकों के पुनर्वास के लिये
रु. 20,000/- पुनर्वास राशि निर्धारित की गयी थी, जिसमें केन्द्रांश रु.10,000/- एवं राज्यांश रु. 10,000/- प्रति बंधक श्रमिक निर्धारित था। 01 अप्रैल 2013 से राज्यांश राशि रू. 10,000/- को बढ़ाकर रू. 40,000/- किया गया है। इस प्रकार प्रति बंधक श्रमिक रू. 50,000/- के मान से प्रदाय किया जा रहा है। राज्य के जिला कलेक्टर्स से बंधक श्रमिको के पुनर्वास का प्रस्ताव एवं पूर्व प्रदाय राशि संबंधी उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त होने पर राज्य शासन द्वारा प्रस्ताव महानिर्देशक, श्रम कल्याण (श्रम एवं रोजगार मंत्रालय) भारत सरकार को प्रस्तुत किये जाने पर केंद्रांश अनुदान भारत सरकार द्वारा निर्गमित किया जाता है। तदुपरांत शासन द्वारा केन्द्रांश राशि सहित राज्यांश राशि निर्गमित की जाती है।
छत्तीसगढ़ गठन से अब तक अवमुक्त बंधक श्रमिक की संख्या
क्र. |
जिले का नाम |
विमुक्त बंधक श्रमिकों की संख्या |
राज्यांश पुनर्वास राशि से लाभांवित श्रमिक संख्या |
केन्द्रांश पुनर्वास राशि से लाभांवित श्रमिक संख्या |
1. |
बिलासपुर |
1357 |
1357 |
1060 |
2. |
जांजगीर-चांपा |
518 |
518 |
445 |
3. |
बेमेतरा |
16 |
16 |
14 |
4. |
रायपुर |
5 |
5 |
5 |
5. |
जगदलपुर |
372 |
372 |
335 |
6. |
कबीरधाम |
27 |
27 |
27 |
7. |
रायगढ |
99 |
99 |
99 |
8. |
कोरबा |
49 |
49 |
49 |
9. |
बलौदाबाजार |
51 |
51 |
23 |
10. |
मुंगेली |
78 |
78 |
78 |
11. |
कोण्डागांव |
35 |
35 |
3 |
12. |
नारायणपुर |
121 |
121 |
77 |
13. |
गरियाबंद |
4 |
4 |
0 |
14. |
राजनांदगांव |
5 |
5 |
0 |
15. |
कांकेर |
12 |
12 |
0 |
|
योग |
2749 |
2749 |
2215 |
प्रदेश में बाल श्रमिक तथा बंधक श्रमिकों का पहचान/कल्याण/पुनर्वास करने के उद्देश्य से मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय बंधक व बाल श्रमिक प्राधिकार समिति का गठन दिनांक 24.11.2012 को किया गया है। जिसमें विभिन्न विभाग के सचिव समिति के सदस्य हैं। समिति द्वारा प्रदेश में बाल श्रमिक (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 एवं बंधित श्रम पद्धति (उत्सादन) अधिनियम 1976 के प्रभावी प्रवर्तन व पुर्नवास का पर्यवेक्षण करेगी।
बंधक श्रमिक (उत्सादन) अधिनियम, 1976 के प्रभावी प्रवर्तन एवं बंधित श्रम पद्धति के अंतर्गत नियोजन के शिकायत के निवारण एवं अनुश्रवण हेतु 01 नवम्बर 2012 से टोल फ्री दूरभाष क्रमांक 1800-2332-197 स्थापित किया गया है।
प्रदेश में जिला रायगढ़, जांजगीर -चांपा एवं बिलासपुर में बंधक श्रमिकों के कार्य दशाओें में सुधार एवं बेहतर पुर्नवास योजना तैयार करने तथा जागरूकता लाने के उद्देश्य से प्स्व् के साथ सर्विस कान्ट्रेक्ट किया गया है।
प्रवासी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ शासन के विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित हो सके इस हेतु पहल करते हुए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा उत्तर प्रदेश, बिहार एवं झारखण्ड राज्य के साथ "Co-operation of the Project Reducing Vulnerability to Bondage" विषय पर एम.ओ.यू. किया गया है।
उपरोक्त राज्यों के अलावा हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, आन्ध्रप्रदेश, जम्मू - कश्मीर एवं तमिलनाडू राज्यों के साथ उपरोक्त संबंध में एम.ओ.यू. के लिए छत्तीसगढ़ शासन, श्रम विभाग द्वारा संबंधित राज्यों से साथ पत्राचार किया गया है।