संचालनालय, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा छत्तीसगढ़, रायपुर

उद्देष्य:-

संचालनालय, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में स्थापित कारखानों में कार्यरत् श्रमिकों के स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं उनके कल्याण से संबंधित अधिनियमों के प्रावधानों का क्रियान्वयन कराना है। संचालनालय, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के द्वारा निम्नलिखित अधिनियमों का प्रवर्तन किया जाता है:-

  • कारखाना अधिनियम, 1948
  • वेतन भुगतान अधिनियम, 1936
  • मातृत्व हितलाभ अधिनियम, 1961
  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत् निर्मित नियम परिसंकटमय रसायनों के भण्डारण एवं आयात नियम 1989
  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत् निर्मित नियम रसायन दुर्घटना (आपात योजना) तैयारी एवं अनुक्रिया नियम 1996

संचालनालय, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा की गतिविधियों के संबंध मे संक्षिप्त जानकारी

कारखाना अधिनियम, 1948 के प्रावधानों के अंतर्गत्, यह अधिनियम निम्नानुसार स्थितियों में किसी भी संस्थान में प्रभावशील होता है:-

  • (अ) ऐसे संस्थान जहाँ वर्ष में किसी भी एक दिन 10 या 10 से अधिक श्रमिकों को नियुक्त कर शक्ति (मानव अथवा पशु द्वारा उत्पन्न शक्ति को छोड़कर) के उपयोग से कोई विनिर्माण प्रक्रिया संचालित की जाती है।
  • (ब) ऐसे संस्थान जहाँ वर्ष में किसी भी एक दिन 20 या 20 से अधिक श्रमिकों को नियुक्त कर बिना शक्ति के उपयोग के विनिर्माण प्रक्रिया संचालित की जाती है।
  • (स) कारखाना अधिनियम की धारा 85 के अंतर्गत् राज्य शासन द्वारा घोषित विनिर्माण प्रक्रिया पर भी यह अधिनियम प्रभावशील होता है, चाहे इन कारखानों में श्रमिकों का नियोजन 10 से कम ही क्यों न हो। वर्तमान में धारा 85 के अंतर्गत् कारखाना अधिनियम के प्रावधान एक भी श्रमिक नियोजित करने पर निम्न प्रक्रियाओं पर लागू है:-
    • राईस मिलिंग
    • दाल मिलिंग
    • आॅयल मिलिंग
    • आरा मशीन
    • स्लेट पेन्सिल निर्माण
    • एस्बेस्टस् निर्माण
    • रासायनिक कारखाने, जिनमें विषैली या अत्यधिक ज्वलनशील अथवा विस्फोटक प्रकृति के रसायनों का भण्डारण या उपयोग होता है।
    • स्टोन क्रशिंग और मिनरल पल्वराईजिंग प्रोसेस।
      प्रदेश में दिनाँक 31.12.2014 तक पंजीकृत कारखानों की कुल संख्या 4124 है। इन कारखानों में श्रमिकों का कुल नियोजन लगभग 2,54,154 है। इन कारखानों में अत्यधिक खतरनाक श्रेणी के 19, खतरनाक श्रेणी के 690 एवं गैर खतरनाक श्रेणी के 3415 कारखानें हैं।
  • संचालनालय, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के अधिकारियों द्वारा अपने-अपने क्षेत्र में स्थित कारखानों का निरीक्षण कर कारखाना अधिनियम एवं अन्य अधिनियमों के प्रावधानों का पालन कराया जाता है तथा निरीक्षण प्रतिवेदन के माध्यम से सुरक्षा के उपाय सुझाये जाते हैं। कारखाना में घटित दुर्घटना की सूचना प्राप्त होने पर तत्काल जाँच की जाती है एवं शिकायत प्राप्त होने पर भी जाँच की जाती है। शिकायत की जाँच, निरीक्षण एवं दुर्घटना जाँच के उपरान्त उल्लंघन पाए जाने की स्थिति में दोषी कारखाना प्रबंधन के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही की जाती है।
  • प्रदेश में विभिन्न जिलों में स्थापित खतरनाक श्रेणी के कारखानों में कारखाना अधिनियम के प्रावधानों का पालन सजगता से कराया जाता है। इन कारखानों में उपयोग किये जा रहे रसायनों से आपात स्थिति निर्मित होने की आशंका रहती है। खतरनाक श्रेणी के कारखानों में होने वाली विनिर्माण प्रक्रिया से तथा इनमें उपयोग हो रहे रसायनों से श्रमिक के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित हो, इस बाबत् इन कारखानों में आॅन साइट इमरजेंसी प्लान बनवाए जाते हैं। इन कारखानों में बनाए गए आॅन साइट इमरजेंसी प्लान का रिहर्सल भी कराया जाता है, जिससे इन प्लान की प्रभावी क्रियान्वयन की स्थिति का आंकलन होता रहें।
  • रसायन दुर्घटना (आपात योजना, तैयारी एवं अनुक्रिया) नियम 1996 के अंतर्गत् प्रदेश में राज्य संकट स्थिति का गठन पुराने 16 जिलों में हो गया है ।
  • प्रदेश में इण्डस्ट्रीयल हाईजीन लैबोरेटरी की स्थापना 2008 में की गई है। इस हाईजीन लैबोरेटरी में विभिन्न तरह के रसायनों एसिड फ्यूम्स्, मेटल फ्यूम्स्, दूषित वायु, धूल एवं जल का विश्लेषण करने हेतु उपकरण स्थापित किये गए हंै। विभाग के अधिकारी खतरनाक कारखानों में जांच के दौरान आवश्यक होने पर वहाँ के कार्यस्थल से नमूना एकत्र कर लैबोरेटरी में पहुँचाया जाता है, जहाँ इन नमूनों की जाँच केमिस्ट द्वारा की जाकर सही स्थिति की जानकारी प्राप्त की जाती है। जाँच उपरान्त खतरनाक कारखानों के कार्यवातावरण में उत्सर्जित वायु, धूल एवं फ्यूम्स में कौन-कौन से विषैले पदार्थ विद्यमान हैं तथा उनकी कितनी मात्रा क्या है , क्या उस मात्रा से श्रमिकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है तथा इससे श्रमिकों का बचाव कैसे किया जावे, आदि की जानकारी प्राप्त होती है ।
  • विभाग के सुदृढ़ीकरण हेतु राज्य शासन के विभिन्न आदेशों से 15 नये सहायक संचालकों की भर्ती छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा की जा चुकी है ।
  • प्रदेश में स्थापित निर्माणियों में कार्यरत् श्रमिकों/अधिकारियों को सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से प्रदेश के सभी कारखानों, विशेषकर खतरनाक प्रक्रिया वाले कारखानों में संचालनालय, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के मार्गदर्शन में श्रमिकों/कारखाना प्रबंधनों को सुरक्षा के प्रति जागरूक करने एवं प्रशिक्षित करने हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है । साथ ही प्रतिवर्ष 4 मार्च को राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। संचालनालय द्वारा प्रदेश के सभी बड़े एवं खतरनाक श्रेणी के कारखाना प्रबंधनों को 4 मार्च को औद्योगिक सुरक्षा दिवस प्रभावी ढंग से मनाने के लिए दिशा-निर्देश दिये जाते हैं। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार कारखानों में श्रमिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने की दृष्टि से स्लोगन प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता, सुरक्षा सुझाव, सुरक्षा संगोष्ठी, सुरक्षा फिल्मों का प्रदर्शन, अग्नि शमन प्रशिक्षण एवं आॅन साइट इमरजेंसी प्लान की माॅक ड्रील कराई जाती है।