व्यवसायिक संघ अधिनियम, 1926 का कार्यान्वयन

आर्थिक रूप से कमजोर एवं पिछड़े वर्ग के श्रमिकों को संगठित करने के उद्देश्य से व्यवसायिक संघ अधिनिमय, 1926 प्रभावशील किया गया है। व्यवसायिक संघ अधिनियम, 1926 मुख्यतः श्रमिक संगठनों के पंजीयन के लिये निर्मित केन्द्रीय अधिनियम है। इस अधिनियम के अनुसार किसी संस्थान अथवा व्यवसाय में कार्यरत न्यूनतम 07 श्रमिक अपना संगठन पंजीकृत कराने की पात्रता रखते थे। केन्द्र सरकार की अधिसूचना दिनांक 09 जनवरी 2002 द्वारा उक्त अधिनियम में किये गये संशोधन के अनुसार किसी संघ के पंजीयन के लिए आवेदन के दिनांक को, ऐसे संघ की सदस्यता, उस संस्थान अथवा उस व्यवसाय में कार्यरत कुल श्रमिकों के 10 प्रतिशत अथवा 100 श्रमिक, जो भी कम हो होना अनिवार्य है, किंतु 70 अथवा इससे कम नियोजन पर न्यूनतम सदस्यता 07 आवश्यक है। पंजीयक, व्यवसायिक संघ द्वारा श्रमिक संघांे का पंजीयन किया जाता है। पंजीयक, व्यवसायिक संघ को व्यवसाय संघ अधिनियम द्वारा पंजीयक के रूप में कार्य करने तथा जांच करने के लिए प्रथम श्रेणी न्यायाधीश के अधिकार प्रदत्त हैं। गुण-दोष के आधार पर पंजीयक द्वारा संघ का पंजीयन किया जावेगा अथवा निरस्त किया जा सकेगा। निरस्तीकरण के विरूद्ध औद्योगिक न्यायालय में अपील किये जाने का प्रावधान है।

31 दिसंबर 2014 की स्थिति में प्रदेश में 580 पंजीकृत श्रम संगठन है।

पंजीकृत श्रम संगठन इण्टक, भारतीय मजदूर संघ, हिंद मजदूर सभा, एटक, सीटू, एच0एम0के0पी0 तथा यू0टी0यू0सी0 जैसे केन्द्रीय श्रम संगठनों से संबंधित हैं। अधिकांश श्रमिक संगठन किसी भी केन्द्रीय श्रम संगठन से संबंद्ध नहीं है।