मुल अधिकार एवं श्रम सम्बन्धी प्रावधान

मूल अधिकार
स्वातंत्रय-अधिकार

अनुच्छेद 19: वाक-स्वातंत्रय आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण

(1) सभी नागरिकों को -
(ग) संगम या संघ बनाने का, अधिकार होगा।

शोषण के विरूद्ध अधिकार

अनुच्छेद 23: मानव के दुव्र्यापार और बलात् श्रम का प्रतिषेध:

(1) मानव का दुव्र्यापार और बेगार तथा इसी प्रकार का अन्य बलात् श्रम प्रतिषिद्ध किया जाता है और इस उपबंध का कोई भी उल्लंघन अपराध होगा जो विधि के अनुसार दंडनीय होगा।

अनुच्छेद 24: कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध:

चैदह वर्ष से कम आयु के किसी बालक को किसी कारखाने या खान में काम करने के लिए नियोजित नहीं किया जाएगा या किसी अन्य परिसंकटमय नियोजन में नही लगाया जाएगा।

राज्य की नीति के निदेशक तत्व

अनुच्छेद 39: राज्य द्वारा अनुशरणीय कुछ नीति तत्व:

राज्य अपनी नीति का, विशिष्टतया, इस प्रकार संचालन करेगा कि सुनिश्चित रूप से:

  • पुरूष और स्त्री सभी नागरिकों को समान रूप से जीविका के पर्याप्त साधन प्राप्त करने का अधिकार हो,
  • पुरूषों और स्त्रियों दोनों का समान कार्य के लिये समान वेतन हो,
  • पुरूष और स्त्री कर्मकारों के स्वास्थ्य और शक्ति का तथा बालकों की सुकुमार अवस्था का दुरूपयोग न हो और आर्थिक आवश्यकता से विवश होकर नागरिकों को ऐसे रोजगारों में न जाना पड़े जो उनकी आयु या शक्ति के अनुकूल न हों,
  • बालकों को स्वतंत्र और गरिमामय वातावरण में स्वस्थ विकास के अवसर और सुविधाएं दी जाएं और बालकों और अल्पवय व्यक्तियों की शोषण से तथा नैतिक और आर्थिक परित्याग से रक्षा की जाए।

अनुच्छेद 41: कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकारः

राज्य अपनी आर्थिक सामथ्र्य और विकास की सीमाओं के भीतर, काम पाने के, शिक्षा पाने के और बेकारी, बुढ़ापा, बीमारी और निःशक्तता तथा अन्य अनर्ह अभाव की दशाओं में लोक सहायता पाने के अधिकार को प्राप्त कराने का प्रभावी उपबंध करेगा।

अनुच्छेद 42: काम की न्याससंगत और मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता का उपबंधः

राज्य काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं को सुनिश्चित करने के लिए और प्रसूति सहायता के लिए उपबंध करेगा।

अनुच्छेद 43: कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि:

राज्य, उपयुक्त विधान या आर्थिक संगठन द्वारा या किसी अन्य रीति से कृषि के, उद्योगों के या अन्य प्रकार के सभी कर्मकारों को काम, निर्वाह मजदूरी, शिष्ट जीवन-स्तर और अवकाश का संपूर्ण उपभोग सुनिश्चित करने वाली काम की दशाएं तथा सामाजिक और सांस्कृतिक अवसर प्राप्त कराने का प्रयास करेगा.............

अनुच्छेद 43-कः उद्योगों के प्रबंधन में कर्मकारों का भाग लेना:

राज्य किसी उद्योग में लगे हुए उपक्रमों, स्थापनों या अन्य संगठनों के प्रबंधन में कर्मकारों का भाग लेना सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त विधान द्वारा या किसी अन्य रीति से कदम उठाएगा।
"श्रम" संबंधी अधिकांश महत्वपूर्ण विषय संविधान की समवर्ती सूची में हैं, जिसकी सुसंगत प्रविष्टियों का उद्धरण निम्नानुसार है:-
22. व्यापार संघ, औद्योगिक और श्रम विवाद
23. सामाजिक सुरक्षा और सामाजिक बीमा, नियोजन और बेकारी
24. श्रमिकों का कल्याण जिसके अंतर्गत कार्य की दशायें, भविष्य निधि, नियोजक का दायित्व, कर्मकार प्रतिकर, अशक्तता और वार्धक्य पेंशन तथा प्रसूति सुविधाएं हैं।
समवर्ती सूची के उक्त विषयों पर कानून बनाने के लिए संसद और राज्य के विधान-मण्डल दोनों सक्षम हैं।